देखो देखो सूरज आई.. आ गया है फिर एक आज !
कल का सूरज ढल चूका है आया है फिर एक आज !
जिसकी थी जो कामना मन को पिगल रहा हे फिर एक आज !
गुज़र गई है ज़िन्दगी और एक.., आ गया है फिर एक आज!
लम्हा लम्हा चल रही है.. जीवन की फिर एक आज !
ढलने लगी है फिर एक सांसे.. गुज़र रही है फिर एक आज !
पिघल रही है फिर एक रोशनी.. बिधाई में है फिर एक आज !
कल की सूरज की एक आश में... भूल न जाओ फिर एक आज!
शाम ढली तो रात आई ज़िन्दगी में कुछ कमी लाइ,
संग रोशनी की चली गई.. जो छुट गई है फिर एक आज !
हम जो है आज ही करदे.., कही गुज़र न जाये फिर एक आज.!
ज़िन्दगी तो एक आज का सफ़र है सफ़र जो भी है आज !
जागो एक बार देखो तुम.. बिखर रही है फिर एक आज..!
डरो नही तो करो अभी... जो हो वो सब है आज!
कल की आश में खो न देना.. ज़िन्दगी सी प्यारी फिर एक आज..!!
hi
ReplyDelete