Thursday, October 8, 2009

तुम ही तुम ..!

वफ़ा -ये - कम कभी न रहे ,
फासला ये दूरी कभी न रहे ,
जीवन कुछ इस कदर कर दे ,
आँखों में नमी कभी न रहे !!

समां जा तू मन में कुछ इस कदर
तुम ही तुम हो हर वो डगर!
हर वो मंज़र हर वो नज़र
जहा तलक ले जाए ये सफर ! !

मन में रहत खुशी की तरह
सासों में ठंडक सरद की तरह
दिल में अहेसास धड़कन की तरह
जुबा में मीठास प्यार की तरह
अब और न कुछ काम रहे
ऐसा कुछ इन्तुज़म रहे
तुम ही तुम हो
बस तुम ही तुम...

और मैं खो जाओ प्यार की उन घहिरायों में
जहाँ बस तुम हो और बस तुम .... !!!

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