Thursday, June 25, 2009

Dil ki Gahiraaiyo se...

दिल की गहिराइयो से धीमी सी एक आवाज़ आती हे,
वो पल-पल की हँसी वो गुज़रे दिन जब याद आती हे !

जाने कहा छुट गई है राहे मेरी
वीरानों में गूम है कही अब रहे मेरी ......
चल पड़ा हूँ फिर भी तलास मंजिल के
हलकी सी रौशनी है और तलास मंजिल के
गुजरें वो दिन वो बचपन की बातें जब याद आती है ,
दिल की गहिराइयो से धीमी सी एक आवाज़ आती है...!

अब तो आदत सी है इस गम को
साँस भी रुकी सी जाती है अब बिन इस गम को
खुशी अगर मिले तो गम दिल चाहता है
दर्दको ही सहना अब ये दिल चाहता है
आँखे नम हो जाती हे इतना.... ज़िन्दगी हमे गम देगा और कितना
पीडा दर्द की आँखों में जब उतर आती है
दिल की गहिरायो से धीमी से एक आवाज़ आती है....!!

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