Monday, July 6, 2009

एक साँस बांकी हे...........

सदियाँ गुज़र गई है अब हँसी को
हंसने की फिर भी एक आश बांकी है...!
खामोशी ले गई है धड़कन को
दिल में फिर भी एक प्याश बांकी है ........!!

छूट गई है कारवां मेरी ,
सपना मिलन की देखता हूँ !
टूट गई है साज मेरी,
संगीत दिलो में रखता हूँ !
किनारा बाँट गई है जीवन को
मिलने की फिर भी एक जीद बांकी है !
सूर छोड़ गई है संगीत को
गुनगूनाने को फिर भी एक गीत बांकी है !!

ना जाने वो कौन सी अहेसास हे जो
जीने की राह दिखाता है ,
प्यासा इस धरती को पानी की आश दिखाता है !
बिसर गई है अब सावन को
बदल में फिर भी एक बूंद बांकी है,
तरस गई है अब ज़िन्दगी को
जीने को फिर भी एक साँस बांकी है ........!!

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