जब कभी बहती हे ये आँसू
जाने अनजाने कुछ कहती हे ये आँसू
पीड़ा दिल की कोने में हो चाहे दबी
आँखों में नज़र लाती हे ये आँसू
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असह दर्द की आभाष हो जाये जब कभी
धडकनों में बेचैनी भर जाये जब कभी..!
आँखे नम हो जाती हे फिर..,
पलकों तले उतर आती हे ये आँसू..!!
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उमंगें ख़ुशी बनके दौडती हो जब कभी
तरंगे मानको छु जाती हो जब कभी..!
कापने लगते हे फिर ये होंठ...
नज़रों में भर आती हे ये आँसू..!!
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भय मन को छू जाती हे जब कभी,
दर्द हद से गुज़र जाती हे जब कभी..,
तुफानो में भी छलक जाती हे ye आँसू..!!
हो जाती हे जुदा पलकों से गीर के जब ये आँसू
बिछोड मन की ब्यथा को कह जाती हे ये आँसू..!
दिल की गहिरयों से पुकारे जब कोही
आँखों में वफ़ा लिये फिर नज़र आती हे ये आँसू....!!!
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